Tuesday 17 September 2013

अजमेर जिला के बारे में जानकारी

अजमेर जिले की रूपरेखा
भौगोलिक स्थिति
अजमेर ज़िला राज्य के मध्य 250 38‘ व 260 58’ तक उत्तरी अक्षांश तथा 730 54’ एवं 750 22’ पूर्वी देशान्तर के बीच 8,841 वर्ग किलोमीटर के साथ तिकोने आकार के रूप में समुद्र तल से 870 मीटर की उूँचाई पर अवस्थित है। ज़िले के उत्तर में नागौर ज़िला, दक्षिण में भीलवाड़ा ज़िला, पूर्व में जयपुर व टोंक ज़िले तथा पष्चिम में पाली ज़िला है।
साधारणतया यह एक समतल मैदान है, जिसके बीच में नीची पहाड़ियॉं हैं जो अजमेर उपखण्ड के उत्तरी भाग में उत्तर पष्चिम दिषा में जाती हैं। मारवाड़ के मैदानों को मेवाड़ के उूँचे पठार सेअलग करने वाली अरावली पर्वत श्रेणी ज़िले से ऊपर होकर गुज़रती है। इसका उच्चतम षिखर अजमेर नगर के निकट समुद्र तल से लगभग 870 मीटर उूँचा है। जिस पर तारागढ़ क़िला स्थित है।
ज़िले में एक ज़िला परिषद्, 8 पंचायत समितियां, 276 ग्राम पंचायतें एवं 7 शहरी स्थानीय निकाय व एक कैंटोनमेण्ट बोर्ड है।
जिले में 08 विधान सभा क्षेत्र - अजमेर उत्तर , अजमेर दक्षिण, मसूदा, केकड़ी, किषनगढ़, ब्यावर, पुष्कर एवं नसीराबाद है। अजमेर ज़िला संसदीय क्षेत्र सामान्य में आता है। अजमेर ज़िले का केकड़ी विधानसभा क्षेत्र टोंक संसदीय क्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र में सम्मिलित है। भौतिक स्वरूप
क्षेत्रफल
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार जिले का कुल क्षेत्रफल 8,481 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 2001 की जनगणना अनुसार इसकी जनसंख्या 21.82 लाख है। इसका घनत्व 257 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
मृदा ;मिट्टीद्ध
ज़िले की मिट्टी सामान्यतः कछारी है परन्तु जिले का उत्तर पर्वी भाग रेतीला है। ज़िले के केकड़ी, विजयनगर क्षेत्र के आसपास काली एवं दुमट मिट्टी पाई जाती है।
भूमि उपयोग
ज़िले का भौगोलिक क्षेत्रफल 8,42,345 हेक्टेयर है।


जलवायु
ज़िले की जलवायु सामान्य रूप से शुष्क एवं स्वास्थ्यवर्धक है। शीतकाल दिसम्बर से फरवरी तक रहता है जबकि ग्रीष्मकाल मार्च से जून माह तक रहता है। वर्ष 2006 में अधिकतम तापमान 44.60 सै. तथा न्यूनतम तापमान 5.90 सै. अंकित किया गया।

वर्षा
ज़िले में मानसून की वर्षा जून के अंतिम सप्ताह में प्रारम्भ होती है तथा 15 सितम्बर तक जारी रहती है। वर्ष 2000 में वास्तविक वर्षा 37.98 सेमी. रही जबकि ज़िले मे ं सामान्य वर्षा 52.73 से.मी. रही।
नदियां, बॉंध, तालाब
जिले में होकर बहने वाली 5 नदियां यथा बनास, खाड़ी, साबरमती, सरस्वती, रूपनगर हैं।ज़िले में बूढ़ा पुष्कर, सरगांव व करातियां नामक प्राकृतिक झीलें हैं। ज़िले में महत्वपूर्ण तालाबों मे ं फाईसागर, फूलसागर,बीर अजमेर बिसाला, रामसर, दिलवाड़ा, कालिंजर, जवाजा एवं मकरेड़ा इत्यादि हैं।

आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति
प्रमुख फसलें
ज़िले में रबी की फसलें प्रमुख हैं तथा साथ में खरीफ एवं जायद रबी की फसलें भी बोयी जाती है।
रबी
गेहूं, जौ, चना, सरसों, अलसी, मटर, जीरा, धनिया, मैथी आदि

खरीफ
कपास, मक्का, बाजरा, ज्वार, मूंगफली, तिल, गन्ना, उड़द, मूंग, मोठ आदि।
इसके अतिरिक्त जिले में व्यावसायिक दृष्टि से फल और सब्जियां भी बोई जाती है। अमरूद, पपीता, नीबू, जामुन, शहतूत और आम के पेड़ भी अमतौर पर पाये जाते हैं। नदियों के पेटे में खरबूजा, ककड़ी, तरबूज भी पैदा किये जाते हैं। ज़िले में फल एवं सब्ज़ियां भी प्रचुर मात्रा में पैदा होती हैं।

प्रमुख उद्योग

यह ज़िला औद्योगिकरण की दृष्टि से पिछड़े क्षेत्र में आता है। यहां के प्रमुख उद्योगों में मार्बल, सीमेण्ट, कॉटन स्पिनिंग एवं प्रोसेसिंग, कॉटन जिनिंग, स्टोन ड्रेसिंग एवं सीमेण्ट पाइप इत्यादि हैं। वर्ष 31मार्च 08 तक 14337 लघु एवं 24 वर्द्व एवं मध्यम उधोग पंजीकृत है ।
संचार एवं यातयात
ज़िला मुख्यालय पष्चिम रेलवे का मुख्य स्टेषन है। जो कि दिल्ली-अहमदाबाद रेल लाइन से जुड़ा हुआ है। अजमेर से रतलाम मार्ग भी रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। ज़िले में किषनगढ़ के पास नई हवाई पट्टी निर्मित हुई है तथा हवाई अड्डा बनना भी प्रस्तावित है। ज़िले में राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 8 गुज़रता है, जो कि किषनगढ़, अजमेर, ब्यावर होता हुआ उदयपुर एवं अहमदाबाद जाता है। जयपुर-अजमेर, अजमेर-कोटा, अजमेर-उदयपुर, अजमेर-अहमदाबाद मुख्य राजमार्ग हैं। ज़िले में 2009 में 344 डाकघर स्थित है ।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां
यहां वर्षों से कई स्थानीय मेले लगते रहते हैं। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुष्कर का कार्तिक मेला, ख़्वाजा साहब का उर्स, ब्यावर का तेजाजी मेला है। अजमेर नगर में अन्य मेलो ं में प्रमुख शीलसप्तमी, चामुण्डा का मेला, अजयपाल का मेला, बजरंगगढ़ एवं मांगलियावास में कल्प-वृक्ष पर लगने वाला मेला प्रमुख हैं। मुख्य हिन्दू त्यौहार होली, दषहरा, दीपावली, गणगौर हैं जबकि मुसलमान मोहर्रम, ईदुल फितर, ईदुल-जुहा और ख़्वाजा साहब का उर्स मनाते हैं।
ऐतिहासिक एवं धामिक केन्द्र
अजमेर ज़िला पुराने संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां का राजकीय महाविद्यालय एवं मेयो कॉलेज राज्य का सबसे प्राचीन महाविद्यालय है। यहां एक लोको वर्कषॉप एवं रेलवे का मण्डल अधीक्षक कार्यालय भी हैै। राजस्व मण्डल व राजस्थान माध्यमिक बोर्ड का कार्यालय भी है। ख़्वाजा साहब की दरगाह, अढ़ाई दिन का झोपड़ा, आनासागर, फाईसागर, बजरंगगढ़, तारागढ़ क़िला, अब्दुल्लाह ख़ां का मकबरा, नसियां, मैगज़ीन, चावण्डा माता, आंतेड़ की माता, ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र नारेली, साई बाबा का मंदिर अजयनगर ,पुष्कर इत्यादि दर्षनीय स्थल हैं।

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